| हरिवंश राय बच्चन | |
|---|---|
| जन्म | हरिवंश 27 नवम्बर इलाहबाद, संयुक्त अवध एवं आगरा प्रांत, ब्रितानी भारत (अब उत्तर प्रदेश, भारत) |
| मौत | 18 जनवरी मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
| पेशा | कवि, लेखक, प्राध्यापक |
| भाषा | अवधी, हिन्दी |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| उच्च शिक्षा | इलाहाबाद विश्वविद्यालय सेन्ट कैथेराइन कॉलेज, कैम्ब्रिज |
| खिताब | पद्मभूषण ( में) |
| जीवनसाथी | श्यामा (–) तेजी बच्चन (–) |
| बच्चे | अमिताभ बच्चन, अजिताभ बच्चन |
| रिश्तेदार | बच्चन परिवार |
| हस्ताक्षर | |
हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर – 18 जनवरी ) हिंदी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उनका निधन 18 जनवरी के दिन, साँस की बीमारी के कारण, मुम्बई में हुआ था।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्यापन किया। बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है।
हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवम्बर
को प्रयाग में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। हरिवंश राय बच्चन के पूर्वज मूलरूप से अमोढ़ा ([[उत्तर प्रदेl ]]) के निवासी थे। यह एक कायस्थ परिवार था। कुछ कायस्थ परिवार इस स्थान को छोड़ कर प्रयाग जा बसे थे। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या 'संतान' होता है। बाद में ये इसी नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू और फिर हिंदी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच.डी.(Ph.D) पूरी की थी । १९२६ में १९ वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय १४ वर्ष की थीं। सन १९३६ में टीबी के कारण श्यामा की मृत्यु हो गई। पाँच साल बाद १९४१ में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का निर्माण फिर' जैसी कविताओं की रचना की। उनके पुत्र अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं।
के सर्दियों के महीने से उनका स्वस्थ्य बिगड़ने लगा। के जनवरी से उनको सांस लेने में दिक्कत होने लगी।कठिनाइयां बढ़ने के कारण उनकी मृत्यु 18 जनवरी में सांस की बीमारी के वजह से मुंबई में हो गयी।
आत्मकथा
उनकी कृति दो चट्टानें को में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। बिड़ला फाउण्डेशन ने उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
हरिवंश राय बच्चन पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं। इनमें उनपर हुए शोध, आलोचना एवं रचनावली शामिल हैं। बच्चन रचनावली () के नौ खण्ड हैं। इसका संपादन अजितकुमार ने किया है। अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं- हरिवंशराय बच्चन (बिशन टण्डन) गुरुवर बच्चन से दूर (अजितकुमार)
अमिताभ बच्चन के वंशवृक्ष | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
हरिवंश राय बच्चन की कृतियाँ | |
|---|---|
| कविता संग्रह | तेरा हार, मधुशाला, मधुबाला,मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, बंगाल का काव्य, खादी के फूल, सूत की माला, मिलन यामिनी, प्रणय पत्रिका, धार के इधर उधर, आरती और अंगारे, बुद्ध और नाचघर, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौंसठ खूंटे, दो चट्टानें, बहुत दिन बीते, कटती प्रतिमाओं की आवाज़, उभरते प्रतिमानों के रूप, जाल समेटा। |
| विविध | बचपन के साथ क्षण भर, खय्याम की मधुशाला, सोपान, मैकबेथ, जनगीता, ओथेलो, उमर खय्याम की रुबाइयाँ, कवियों के सौम्य संत: पंत , आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत, आधुनिक कवि:७, नेहरू: राजनैतिक जीवनचित्र, नये पुराने झरोखे, अभिनव सोपान, चौसठ रूसी कविताएँ , डब्लू बी यीट्स एंड औकल्टिज़्म, मरकट द्वीप का स्वर, नागर गीत, बचपन के लोकप्रिय गीत, हैमलेट, भाषा अपनी भाव पराये, पंत के सौ पत्र, प्रवास की डायरी, किंग लियर, टूटी छूटी कड़ियां, मेरी कविताई की आधी सदी, सोहं हंस, आठवें दशक की प्रतिनिधी श्रेष्ठ कवितायें, मेरी श्रेष्ठ कविताएँ। |
| आत्मकथा / रचनावली | क्या भूलूं क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, बच्चन रचनावली के नौ खंड। |